वाम की रार
क्या आप जानते हैं कि वाम पार्टी क्यों अपने को मीडिया केन्द्र में रखना चाहती है , क्योंकि ऐसा कर ये पार्टियाँ अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए ऐसा करती हैं । मुस्लिम हित कि बात करने वाली इस पार्टी के राज्य में मुस्लिमों की स्थिती काफी खस्ता है। कुल जनसंख्या में २५% हिस्सेदारी किन्तु सरकारी सेवा में महज २ % भूमिका ।यूं पी ए के साथ सत्ता का सुख भी भोगते हैं और दिखावटी विरोध भी कि मैं watchdog हूँ , यह दोरंगी चाल चलने वाली नहीं। परमाणु करार का विरोध करने वाली ये पार्टियाँ ये बता सकती हैं कि,अमेरिका से दोस्ती कैसे भारत के लिए फायदेमंद नहीं है? उगते सूरज को सब सलाम करते हैं। यदी भारत अमेरिका से सामरिक दोस्ती करता है तो वाम पार्टियों को क्यों लगता है की यह चीन की घेराबंदी के लिए है। ऐसे में क्यों न इन्हें चीन का एजेंट माना जाए । परोसी कभी दोस्त नहीं होता। वह या तो दुश्मन होगा या प्रतीद्वन्दी । भारत क्यों न अपनी सामरिक ताकत को मजबूत करे ?चीन जो भारत के साथ दगाबाजी कर चूका है और अब भी ऐसी ताक में रहता है, के खिलाफ भारत के साथ अमेरिकी साझेदारी भारत के लिए mahatwapurna है । चीन जो कम्युनिस्ता साशित है , आज अमेरिका का बरा व्यापारिक भागीदार है, तो भारतीय वाम पार्टियों को क्यों अमेरिका विरोध अपने जीवन जीने का वसूल लगता है? समय के साथ नहीं बदलने वाले अपने अस्तित्वा से मीट जाते हैं।
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